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इन्सान एक खिलौना




आज दिनांक ३१.१०.२३ को प्रदत्त स्वैच्छिक विषय पर प्रतियोगिता वास्ते मेरी प्रस्तुति
विषय : इन्सान एक खिलौना
कभी दिल उदास होता था,
 तुम समीप मेरे आ जाते थे,
रख कर कांधे पर हाथ मेरे,
तुम मुझे सांत्वना देते थे।

इच्छा होती थी ,कभी तो तुम,
रू-ब-रू मेरे आ जाओ,
सच मे मेरे सीने से लग,
मुझे सांत्वना दें जाओ।

मानव की अभिलाषाएं क्या,
जीवन मे पूरी होती हैं,
सजदों मे भी रोया करता,
इल्तज़ा अधूरी रहती है।

मानव हैं,मानव ही से तो,
उसे प्यार कभी हो जाता है,
दम भर तो मिलन के पल दे दो,
ये ख़ुदा भी क्यों तरसाता है।

प्रभु ने बनाया मानव को,
दिल मे मुहब्बत दी उसने,
फ़िर मिलन के पल क्यों छीन लिये,
क्यों क़यामत बरपा की उसने!

आनन्द कुमार मित्तल, अलीगढ़



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5 Comments

RISHITA

01-Nov-2023 05:01 PM

V nice

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madhura

01-Nov-2023 04:04 PM

Amazing

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Mohammed urooj khan

01-Nov-2023 12:55 PM

👍👍👍👍

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